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Showing posts from August, 2018

खीरा खाने के होते हैं इतने फायदे, जानकर हो जाएंगे हैरान

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खीरा और गर्मियां साथ-साथ आती हैं। खीरा में कई पोषक तत्‍व होते हैं, जो उसे सेहत के लिए जरूरी बना देते हैं। खीरा को मिनरल, विटामिन और इलेक्ट्रोलाइट्स का पावरहाउस कहा जाता है। यह सैंडविच, सलाद, रायता में सबसे खास पसंद होता है। गर्मियों में खीरा किसी न किसी रूप में जरूरी खाया जाता है। इस दौरान हल्का और साफ खाना जरूरी होता है क्‍योंकि सर्दियों के मुकाबले गर्मियों में डायरिया और फूड पॉइजनिंग की समस्‍या ज्‍यादा होती है। खीरा खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए।  खीरा खाने के बाद न पिएं पानी खीरे में 95 फीसदी पानी होता है। खीरा में विटामिन सी, विटामिन के, कॉपर, मैग्नीशियम, पोटेशियम, मैंगनीज और सबसे महत्वपूर्ण सिलिका जैसे आवश्यक पोषक तत्व होते हैं। यह त्वचा और बालों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसमें 95 फीसदी पानी होता है ऐसे में इसे खाने के बाद पानी पीने से आप इन आवश्‍यक पोषक तत्‍वों से वंचित रह सकते हैं। पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण के लिए कच्ची सब्‍जियां और फल खाने के बाद पानी पीने से बचने की सलाह दी जाती है. खीरा खाने के तुरंत बाद पानी पीने से जीआई गतिशीलता में वृद्धि होती है, ज...

पाइन नट्स खाने के होते हैं इतने फायदे कि जानकर चौंक जाएंगे

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पाइन नट्स यानी चिलगोजा खाने के अनेक फायदे होते है। यह स्वस्थ वसा के साथ-साथ प्रोटीन का भी महत्वपूर्ण स्त्रोत है। इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत कम पाई जाती है। क्योंकि चिलगोजा नट्स में कई मात्रा में फैट पाया जाता है इसलिए यह उर्जा का अच्छा स्त्रोत है। चिलगोजे में विटामिन ई और विटामिन बी, कैल्शियम और आयरन भी पाया जाता है। आइए जानते हैं इसके अनेक फायदे 1. पाइन नट्स से वजन घटाने में मदद मिलती है। पाइन नट्स भूख को दबाने में बहुत प्रभावी है। पाइन नट्स से भोजन का सेवन 37% कम हो सकता है। 2. पाइन नट्स में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट कैंसर और अन्य प्रकार की बीमारियों को कम करने में मदद करते हैं। 3. पाइन नट्स में बीटा कैरोटीन और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। यह बढ़ती उम्र के साथ घटती आंखों की रौशनी को घटने से रोकता है। 4. पाइन नट्स में विटामिन ई होने के कारण ये त्वचा को स्वस्थ बनाए रखता है। 

स्तन कैंसर से बचने के लिए जागरूक और सावधान रहना जरूरी

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भारत में बीते एक दशक में स्तन कैंसर के मामले कई गुना बढ़ गए हैं। स्तन कैंसर पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीय महिलाओं को कम उम्र में भी शिकार बना रहा है। भारतीय औरतों में स्तन कैंसर होने की औसत उम्र लगभग 47 साल है, जो कि पश्चिमी देशों के मुकाबले 10 साल कम है। सही जानकारी, जागरुकता, थोड़ी सी सावधानी और समय पर इसके लक्षणों की पहचान और इलाज से इस समस्या को हराया जा सकता है। दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सीनियर कंस्लटेंट सर्जिकल ओंकोलॉजी, डॉक्टर सिद्धार्थ साहनी के मुताबिक स्तन कैंसर का कोई एक खास कारण नहीं है। यह फेफड़े के कैंसर की तरह नहीं है, जिसमें अगर आप सिगरेट या तम्बाकू बंद कर दें तो इसे रोका जा सकता है लेकिन स्तन कैंसर कई चीजों के कारण होता है। साहनी के मुताबिक स्तन कैंसर लाइलाज नहीं है लेकिन इसके लिए इसका सही समय पर पता लगना जरूरी होता है। साहनी ने कहा कफ यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका पता लगाकर जड़ से खत्म किया जा सकता है। इसके लिए इसका पता लगाना बहुत जरूरी है और इसके लिए शुरुआती जागरुकता बहुत जरूरी है। इसके लिए हर औरत को अपने आप अपने स्तनों की जांच करनी चाहिए और किसी भी प्...

तो क्या 2050 तक 'यंग' नहीं रहेगा हमारा इंडिया!

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'यंग इंडिया', 'युवा भारत', 'नया भारत' जैसे तमाम नामों के साथ राजनीतिक दल हिंदुस्तान को बदलने की कल्पना कर रहे हैं, लेकिन अमेरिका के जनसंख्या संदर्भ ब्यूरो (पॉपुलेशन रेफरेंस ब्यूरो) के एक अध्ययन के मुताबिक, यह सब योजनाएं धरी की धरी रह जाएंगी, क्योंकि देश में वर्ष 2050 तक 65 साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या तीन गुना तक बढ़ जाएगी और हमारे देश की गिनती बुजुर्ग देशों में की जाने लगेगी.  अध्ययन के मुताबिक, 2050 तक भारत की जनसंख्या 170 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जिसके तहत अगले 32 वर्षो में बच्चों की संख्या (15 साल से कम उम्र के बच्चे) 20 फीसदी कम हो जाएगी, जबकि 65 साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या तीन गुना तक बढ़ जाएगी. वैश्विक स्तर पर जनसांख्यिकीय डाटा उपलब्ध कराने वाली पीआरबी के मुताबिक, 2018 में देश की बच्चों की वृद्धि दर 28 फीसदी है, जो 2050 में घटकर 19 फीसदी हो जाएगी. इसके मुकाबले 65 वर्ष से अधिक लोगों की वृद्धि दर का अनुपात छह से बढ़कर 13 फीसदी हो जाएगा. पीआरबी ने निर्भरता का यह डाटा विभिन्न देशों और क्षेत्रों में इकट्ठा किया है. पॉपुलेशन रेफरें...

शरीर की कई बीमारियों को झट से दूर करता है लहसुन और शहद, पढ़ें इसके फायदे

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बारिश के मौसम में लोगों को सर्दी-खांसी, जुकाम, गले में इंफेक्शन जैसी कई बीमारी घेरने का खतरा दुगुना बन जाता है। ऐसे में यदि हम कुछ बातों को ध्यान देंगे तो इन बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है। लगभग सभी घरों के किचन में लहसुन और शहद तो जरूर रहते हैं, लेकिन दादी-नानी के घरेलु उपचार के बारे में जानेंगे तो आप भी चौंक जाएंगे। लहसुन और शहद दोनो ही प्राकृतिक गुणों से भरपूर हैं। जहां लहसुन में कई प्रकार के औषधिय गुण होते हैं तो वहीं शहद में शरीर को जवां और ऊर्जा देने का काम करता है। लेकिन यदि दोनों को मिश्रण करके सेवन किया जाए तो आप कई बीमारियों से बच सकते हो। आज हम आपको बता रहे हैं लहसुन और शहद के मिश्रण का सेवन करने से आप किन किन रोगों से आप बच सकते हैं। लहसुन और शहद को मिलाकर खाने के फायदे 1. साइनस और सर्दी जुकाम यदि साइनस की समस्या या सर्दी जुकाम हो गया हो तो आप लहसुन और शहद को मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से शरीर के अंदर की गर्मी बढ़ती है जिससे ऐसे सभी रोग खत्म हो जाते हैं। 2. गले में इंफेक्शन इंफेक्शन का गले में होना एक आम समस्या है। यह संक्रमण की वजह से होता है। शहद और लहसुन को ...

डब्लूएचओ का दावा, प्रदूषण के कारण 4 साल उम्र घटा रहे हैं भारतीय

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा हाल ही में जारी की गई सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में भारत के 14 शहर शामिल थे, लेकिन इससे भी ज्यादा चौंका देने वाली बात यह है कि भारत का प्रदूषण स्तर संगठन द्वारा निर्धारित भारत वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर रहा है जिसके कारण देश में प्रत्येक व्यक्ति की उम्र कम से कम एक से दो साल और दिल्ली में छह साल तक घट रही है। लंग केयर फॉउंडेशन के अध्यक्ष व प्रोफेसर डॉ. अरविंद कुमार ने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, कुछ दिन पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने एक अध्ययन प्रकाशित किया था, जिसमें कहा गया था कि भारत का प्रदूषण स्तर संगठन द्वारा निर्धारित भारत वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर रहा, जिसके कारण देश में प्रत्येक व्यक्ति की उम्र कम से कम एक से दो साल और दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर में छह साल तक घट रही है। वहीं अगर हम डब्लूएचओ के मानकों को पूरा करते हैं तो देश में प्रत्येक व्यक्ति की उम्र चार से पांच साल तक बढ़ सकती है। डॉ. अरविंद कुमार ने कहा, दरअसल इसके पीछे वजह है देश और दिल्ली का पीएम2.5 स्तर। हाल ही में अमेरिका के बर्कले अर्थ संग...

एएमयू में गंभीर हृदय रोग से पीड़ित 7 साल की बच्ची को बचाया

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (जेएनएमसी) में चिकित्सकों ने चार घंटे लंबे चले ऑपरेशन में एक गंभीर जन्मजात बीमारी से पीड़ित सात महीने की बच्ची का सफलतापूर्वक इलाज किया. इससे बच्ची की जान को खतरा था. चिकित्सकों ने कहा कि पूरे उत्तर भारत में केवल कुछ ही केंद्रों पर इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को किया जा सकता है. अलीगढ़ के जवान क्षेत्र निवासी सलमान की बेटी माहिरा को टीम के अध्यक्ष कार्डियोथोरैसिक सर्जन मोहम्मद हनीफ बेग ने नया जीवन दिया. वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के प्रतिकुलपति भी हैं.

HEALTH NEWS:नक्सल इलाके की बेटी ने किया कमाल, बनी इलाके की पहली डॉक्टर

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नक्सलवाद के लिए कुख्यात छत्तीसगढ़ के दोरनापाल की रहने वाली बेटी माया ने क्षेत्र की पहली एमबीबीएस डॉक्टर बनकर इतिहास रचा है. माया ने महज 10 वर्ष की उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था. माया का कहना है कि उसने महज 10 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया था. उसका बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना था, जिसे पूरा करने में वह लगी रही. डॉक्टर बनने के बाद वह गरीबों की सेवा करेगी. माया की बहन का कहना है कि पिताजी के निधन के बाद माया को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. आर्थिक तंगी से भी गुजरना पड़ा, लेकिन माया के हौसले नहीं डगमगाए. बाधाओं से लड़ते हुए उसने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है. माया की इस उपलब्धि पर पूरा परिवार उसकी कामयाबी से खुश है.

अच्छी खबर: रीढ़ की सर्जरी में अब नहीं होगा उम्र की सीमा का बंधन

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सर्जरी की तकनीक में विकास के कारण रीढ़ की सर्जरी अब किसी भी उम्र में हो सकती है. दिल्ली के आर्थोपेडिक सर्जनों ने 89 साल की महिला की रीढ़ की सफल सर्जरी को अंजाम दिया है. राष्ट्रीय राजधानी स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल मे पिछले दिनों नेपाल के इटाहरी की 89 साल की महिला की रीढ़ की सफल सर्जरी की गई. उस महिला ने इसी अस्पताल में दस साल पहले दोनों घुटनों को बदलवाने का ऑपरेशन भी कराया था. स्पाइन सर्जरी करने वाले अस्पताल के वरिष्ठ आथोर्पेडिक सर्जन डॉ. राजू वैश्य ने कहा कि पिछले एक साल से उनकी कमर में दर्द था जो पैर तक फैल रहा था. पिछले तीन माह के दौरान यह दर्द इतना अधिक बढ़ गया कि उनके लिए चलना फिरना और यहां तक कि आराम से सोना दूभर हो गया. एक्स रे एवं एमआरआई की मदद से रीढ़ की जांच करने पर पता चला कि एल4 और एस1 हिस्से में स्पाइनल कार्ड में दवाब 'कम्प्रेशन' आ गया था. डॉ. राजू वैश्य एवं उनकी टीम ने 17 अगस्त को उनकी स्पाइनल कॉर्ड में आए दबाव 'डिक्रम्प्रेशन' को हटाने के लिए डिक्रम्प्रेशन सर्जरी तथा रीढ़ को मजबूती प्रदान करने के लिए स्पाइनल फ्यूजन सर्जरी की. सर्जरी ढाई घंटे चली. ...

17 लाख बच्चों तक पहुंचा 'सैवलॉन स्वस्थ भारत मिशन'

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आईटीसी के अग्रणी हाइजीन ब्रांड सैवलॉन द्वारा दो साल पहले शुरू किया गया 'सैवलॉन स्वस्थ भारत मिशन' कार्यक्रम देश के कई प्रमुख राज्यों के 17 लाख से अधिक बच्चों तक पहुंच गया है. इस कार्यक्रम का नारा है 'सेहतमंद बच्चे, मजबूत भारत'. जिन राज्यों में इस अभियान ने अपनी पहुंच बनाई है उनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड व कर्नाटक शामिल हैं. इन राज्यों में इस अभियान ने 3700 से भी ज्यादा स्कूलों तक पहुंच बनाई है. 'हैल्दी हैंड्स चॉक स्टिक्स' की कामयाबी के आधार पर कंपनी ने 'सैवलॉन आईडी गार्ड' भी लांच किया है. यह पहल सैवलॉन के मल्टी-यूज हैंडवॉश सैशे का उपयोग करते हुए सुविधा में इजाफा करती है और बच्चों में हाथ धोने की आदत डालती है. यह पहल 32 स्कूलों में शुरू की गई है और आगामी महीनों में इसे 1000 से अधिक स्कूलों तक पहुंचाया जाएगा. इस मिशन का लक्ष्य है विभिन्न दिलचस्प व मनोरंजक शैक्षिक पहलकदमियों के माध्यम से बच्चों को हाथ धोने के बारे में जागरुक बनाना. इस कार्यक्रम में इंट्रैक्टिव गतिविधियां शामिल की गई हैं, जैसे स्टोरीटैलिंग सीरीज तथा विजुअल ...

आंखों की रौशनी छीन सकता है AMD, क्या हैं लक्षण और बचाव

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बुजुर्ग लोगों में शारीरिक क्षमता कम होने के साथ उम्र से जुड़े कई रोग भी घेर लेते हैं. इसमें सबसे गंभीर आंखों की बीमारियां है क्योंकि रेटिना की बीमारियों, जैसे उम्र से जुड़ी मैक्यूलर डिजनरेशन (एएमडी) का समय पर इलाज न कराने से बुजुर्गों को अंधापन भी हो सकता है. अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस के अवसर पर लोगों को यह बताना महत्वपूर्ण है कि एएमडी ग्रस्त रोगियों में डिप्रेशन का स्तर सामान्य बुजुर्गों और अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बुजुर्गों के मुकाबले काफी ज्यादा है. वैज्ञानिकों ने उम्र से जुड़े मैक्यूलर डिजनरेशन से जुड़े डिप्रेशन, विजअल एक्यूटी, कोमोरबिडी एंड डिसएब्लेटी और उम्र से जुड़े मैक्यूलर डिजनरेशन का विजन पर पड़ने वाली कार्यक्षमता के इफैक्ट्स ऑफ डिप्रेशन की दिशा में रिसर्च की तो पाया कि एक तिहाई एएमडी रोगी डिप्रेशन में थे.  क्या है एएमडी एएमडी को साधारण भाषा में समझा जाए तो जिस तरह कैमरे में मौजूद फिल्म पर तस्वीर बनती है, ठीक उसी तरह से हमारी आंखों के रेटिना में तस्वीर बनती है. अगर रेटिना खराब हो जाए तो आंखों की रोशनी जा सकती है. इस बीमारी में मैक्यूल (रेटिना के बीच के भ...

Cocoa Powder For Weight Loss: इस स्वादिष्ट फूड से कम किया जा सकता है कई किलो वजन...

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अक्सर लोग कोको पाउडर (Cocoa powder) को अक्सर चॉकलेट समझ लिया जाता है. लेकिन ये दोनों ही अलग हैं. कोको पाउडर कोको बीन्स को पीसकर बनाया जाता है और इसमें कोई वसा या चीनी नहीं होती. वहीं, चॉकलेट में अन्य अवयवों के बीच कोको मक्खन, कोको और चीनी (cocoa butter, cocoa and sugar among) शामिल है. चॉकलेट में कोको की मात्रा यह तय करती है कि वह कितना स्वस्थ या अस्वास्थ्यकर है. यही वजह है कि डार्क चॉकलेट (dark chocolate) को वहां सबसे स्वस्थ स्नैक्स माना जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें कोको का उच्चतम प्रतिशत है. इस बीच, सफेद चॉकलेट असल में एक चॉकलेट नहीं है, क्योंकि यह milk solids, cocoa butter और sugar से बनता है. कोको तनाव से लड़ने और मनोदशा में सुधार के लिए जाना जाता है. तो हम आपको बताते हैं कि कैसे कोको पाउडर वजन कम (weight loss) करने में मदद कर सकता है-  बेहतर होगा मेटाबॉलिजम (Boosts Metabolism): ​​ कोको मेटाबॉलिजम को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है और शरीर को मेटाबॉलिजम फैट बेहतर करने में मदद करता है. यही वजह है कि फिटनेस ट्रेनर अक्सर लोगों को अपने pre-workout खाने में प्रो...

क्या, बस चश्मा लगाते ही पता चलेगा ब्लड प्रेशर...

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माइक्रोसॉफ्ट अपने स्मार्ट ग्लासेज (चश्मा) की अगली पीढ़ी विकसित करने में जुटी है, जो रक्तचाप नापने के डिवाइस के रूप में काम करेगी. इसे ग्लाबेला नाम दिया गया है. इसे रक्तचाप को नापने वाले किसी अन्य डिवाइस की तुलना में पहनना और इस्तेमाल करना काफी आसान होगा.  इस डिवाइस में ऐसे ऑप्टिकल सेंसर्स लगे हैं, जो यूजर्स से किसी प्रकार के इंटरैक्सन के बिना काम करता है.  पारंपरिक तौर पर रक्तचाप की गणना के लिए बाजू में एक पट्टी लपेट कर उसे मशीन से जोड़कर रीडिंग लेनी होती है, लेकिन इस चश्मे को पहन कर लगातार रक्तचाप की रिडिंग बिना किसी झंझट के ली जा सकेगी.  इसके बारे में एसीएम जर्नल ऑफ इंट्रैक्टिव, मोबाइल, वेयरबेल और यूबिक्विटस टेक्नॉलजी में एक शोध पत्र प्रकाशित किया गया है.  आईईईई स्पेक्ट्रमम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किसी व्यक्ति की दिल की धड़कन के बीच का समय या पल्स ट्रांजिट टाइम की गणना से अप्रत्यक्ष रूप से रक्तचाप की माप की गणना की जा सकती है.  हालांकि माइक्रोसॉफ्ट के ग्लास (चश्मे) ने परीक्षण के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन किया, लेकिन अभी इसे माइक्रोसॉफ्ट को बा...

नाश्ते में बादाम घटाए कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज : अध्ययन

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कई अध्ययनों में यह बात साबित हुई है कि सुबह का नाश्ता छोड़ना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है। अक्सर यह काम कॉलेज स्टूडेंट या ऑफिस की हड़बड़ी में रहने वाले लोग करते रहते हैं। ऐसे तमाम लोगों के लिए यह खबर कुछ राहतभरी हो सकती है। एक अध्ययन में कहा गया है कि रोजाना सुबह नाश्ते में बादाम खाने से कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज नियंत्रित रहते हैं। इसमें कहा गया है कि सुबह का नाश्ता छोड़ने वालों के लिए बादाम अच्छा विकल्प हो सकता है।  यूनीवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में हुए इस अध्ययन में कहा गया है कि अक्सर आजाद जिंदगी जीने के चक्कर में युवा अपने खानपान पर ध्यान नहीं देते हैं। इससे उनके शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। यूं भी आज की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल में खानपान पर लोगों का ध्यान नहीं रहता है। इस अध्ययन में कहा गया है कि बादाम को नाश्ते का विकल्प तो नहीं माना जा सकता है, मगर सुबह कुछ बादाम आपके दिल की सेहत और ग्लूकोज का स्तर सामान्य रखने में काफी अहम रोल निभा सकते हैं। अमेरिकी हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक ब्रेकफास्ट करने से कार्डियोमेटाबोलिक से जुड़े खतरे कम होते हैं। इसमें ब्लड...

धूम्रपान करने वालों के बच्चें हो सकते हैं फेफड़ों की बीमारी के शिकार, जानें कारण

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क्या आप लगातार धूम्रपान करते हैं? अगर हां, तो आप अपनी जिंदगी को खतरे में डालने के साथ-साथ अपने बच्चों के लिए भी खतरा पैदा कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि इससे वयस्कों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के कारण मृत्यु का जोखिम बढ़ सकता है। अध्ययन में पाया गया कि जो लोग अपने बचपन से एक नियमित धूम्रपान करने वाले शख्स के साथ रह रहे, उनमें 31 फीसदी को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से मरने का खतरा अधिक होता है। जबकि धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के धूएं के संपर्क में आने वाले नौ फीसदी वयस्कों को मरने का खतरा होता है। इसमें गंभीर हृदय रोग से 27 प्रतिशत अधिक मौत का जोखिम, 23 प्रतिशत को दौरा पड़ने से मौत का खतरा, और सीओपीडी से सबसे अधिक 42 प्रतिशत मौत का खतरा रहता है। अमेरिका की अमेरिकन कैंसर सोसायटी के एपीडेमायोलॉजिस्ट डब्लू. रयान डायवर ने कहा, यह पहला अध्ययन है जिसमें मध्य आयु व उससे कम उम्र में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पुलमोनेरी डिसिज से धूम्रपान नहीं करने वाले व्यक्ति और बचपन के बीच संबंध के बारे में बताया गया है। उन्होंने कहा, निष्कर्षो से यह भी पता चला है...

आंतों के कैंसर का खतरा कम करती हैं गोभी और ब्रोकली

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गोभी या ब्रोकली जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से आंत स्वस्थ रहते हैं और आंतों के कैंसर से बचाव होता है. एक नए अध्ययन में यह जानकारी दी गई है। चूहों पर किए गए अध्ययन से पता चला कि जिन्हें इन्डोल 3 कार्बिनोल (आई3सी) युक्त आहार दिया गया, उनमें आंत में सूजन या आंतों के कैंसर से बचाव हुआ. गोभी और ब्रोकली में भी आई3सी पाया जाता है, जो एक एक्रियल हाइडोकार्बन रिसेप्टर (एएचआर) नाम के प्रोटीन को सक्रिय करता है, जिससे आंतों के कैंसर से बचाव होता है. एएचआर एक पर्यावरणीय सेंसर के रूप में काम करता है तथा प्रतिरक्षा थंत्र और आंतों की एपिथिलिएल कोशिकाओं को संकेत देता है कि सूजन से बचाव करने की कोशिश करें और आंत में पाए जाने वाले खरबों बैक्टीरिया से प्रतिरक्षा प्रदान करता है.   शोध प्रमुख ब्रिटेन के फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट की अमीना मेतीजी का कहना है, "जब कैंसर ग्रस्त चूहों को आई3सी से भरपूर डायट खिलाया गया, तो उनमें ट्यूमर की संख्या में कमी देखी गई." यह शोध इम्युनिटी नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया है.

75 फीसदी भारतीय हैं इस बीमारी से परेशान, जानें इसके बारे में सबकुछ

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देश में बहुत बड़ी आबादी न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम से प्रभावित है. न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम कीटाणु या संक्रमण द्वारा होने वाली बीमारी नहीं, बल्कि जीवनशैली व आहार संबंधी आदतों के कारण होने वाली बीमारियों का एक संयोजन है. न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम से प्रभावित लोग मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, दिल संबंधी रोग वगैरह गैर-संक्रमणीय बीमारियों से पीड़ित होते हैं. हैदराबाद के सनशाइन अस्पताल के बरिएट्रिक और लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. वेणुगोपाल पारीक ने कहा कि न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम पारंपरिक आहार और जीवनशैली में आए बदलाव के कारण होने वाली बीमारी है. न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम के लिए पश्चिमी भोजन खासतौर पर जिम्मेदार है. ये सभी खाद्य पदार्थ वसा, नमक, चीनी, कार्बोहाइड्रेट और परिष्कृत स्टार्च मानव शरीर में जमा हो जाते हैं और मोटापे का कारण बनते हैं. मोटापे के कारण ही मधुमेह मेलिटस, उच्च रक्तचाप, कार्डियोवैस्कुलर रोग, स्तन कैंसर और डिस्प्लिडेमिया आदि बीमारियां होती हैं. क्या कहते हैं आंकडे-  भारत में करीब 70 फीसदी शहरी आबादी मोटापे या अधिक वजन की श्रेणी में आती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार भारत में ...

कॉन्ट्रेक्टेड क्रोनिक लिवर से परेशान अफगानी बच्ची को मिली नई जिंदगी

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कॉन्ट्रेक्टेड क्रोनिक लिवर रोग से पीड़ित तीन वर्षीय अफगानी बच्ची हादिया नेसरी को यहां इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में नई जिंदगी मिली. इस बच्ची को नई जिंदगी देने में पाकिस्तानी पीडिएट्रिक हेपेटोलोजिस्ट डॉ. हूमा चीमा और अस्पताल की लिवर ट्रांसप्लान्ट टीम का योगदान रहा. पाकिस्तानी पीडिएट्रिक हेपेटोलोजिस्ट डॉ. हूमा ने कहा, "हादिया पिछले कुछ समय से बीमार चल रही थी, उसे लाहौर के चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल्स के मेरे विभाग में लाया गया था, जब हमने उसे भर्ती किया, वह बहुत ज्यादा बीमार थी. वह कॉन्ट्रेक्टेड क्रोनिक लिवर रोग से पीड़ित थी और पूरी कोशिश के बाद भी ठीक नहीं हो रही थी. उसका लिवर फेल हो रहा था. आखिरकार हमारे पास सिर्फ लिवर ट्रांसप्लान्ट का विकल्प बचा था, मैंने उसे तुरंत दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स रेफर कर दिया." इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर एवं सीनियर कन्सलटेन्ट, पीडिएट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलोजी एवं हेपेटोलोजी डॉ. अनुपम सिब्बल ने कहा, "हमने तुरंत बच्ची की जांच की, क्योंकि हादिया का लिवर ट्रांसप्लान्ट बेहद जरूरी था. बच्चों में इस तरह के 20 फीस...

WHO के अनुसार यह एक काम पूरा हुआ तो 4 साल ज्यादा जी सकेंगे भारतीय

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अगर भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करता है तो भारतीय औसतन करीब चार साल अधिक जी सकेंगे। यह बात एक नये अध्ययन में कही गई है। सिर्फ परिवेश वायु प्रदूषण से भारत पर प्रति वर्ष 500 अरब अमेरिकी डॉलर का भार आ सकता है। इस बात पर गौर करते हुए अध्ययन में कहा गया है कि इस वजह से देश में लाखों लोग बीमार और संक्षिप्त जीवन जी रहे हैं। शोधकर्ताओं के एक समूह ने इस मुद्दे से पार पाने के लिए कई कदम उठाने का सुझाव दिया है। इसमें अतिरिक्त उत्सर्जन के लिए शुल्क लगाना भी शामिल है। अध्ययन में कहा गया है कि अगर देश डब्ल्यूएचओ के वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करता है तो भारतीय औसतन लगभग चार साल अधिक जी सकेंगे।  विश्व स्वास्थ्य संगठन गुणवत्ता मानकों के तहत, सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम 2.5) के लिये 10 माइक्रोग्राम / घन मी वार्षिक माध्य (मीन) और 25 माइक्रोग्राम / घन मी 24 घंटे का माध्य होना चाहिए जबकि मोटे कण पदार्थ (पीएम 10) के लिये 20 माइक्रोग्राम / घन मी वार्षिक माध्य और 50 माइक्रोग्राम / घन मी 24 घंटे का माध्य होना चाहिये। शिकागो विश्वविद्यालय के एन...

सच या झूठ: क्या डायबिटीज को सचमुच दूर करता है नीम...

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विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के एक अनुमान के अनुसार विश्व में हर वर्ष डायबिटीज के कारण करीब 16 लाख लोगों अपनी जान गंवाते हैं. WHO का दावा है कि 2030 तक डायबिटीज दुनिया की 7वी सबसे बड़ी जानलेवा बीमारी बन जाएगी. डायबिटीज एक स्थायी रोग है जिसमें आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. और अगर इसका इलाज नहीं किया गया तो ये आपके दिल, ब्लड वैस्ल्स, आंख और किडनी को हानि पहुंचा सकता है. इसकी पहचान में देरी और जागरूकता की कमी के चलते इसे काबू करना काफी मुश्किल हो जाता है. डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को अपने खाने के प्रति अधिक सचेत रहना पड़ता है. मीठे खाद्य पदार्थ, ड्रिंक्स, ट्रांस्फैट्स से हमेशा दूरी बना के रखने में ही समझदारी होती है.  एक डायबिटिक डाइट हमेशा हाईफाइबर फूड, कॉम्पलेक्स कार्ब्स और प्रोटीन का बैलेंस मिक्स होना चाहिए. ऐसे कई हर्ब्स और मसाले हैं जो आपको इस रोग से लड़नेमें सहायता करते हैं. जैसे, मेथीदाना आपके बढ़े हुए शुगर लेवल को नीचे लाने में मदद करता है. इसी कड़ी में एक और नाम है नीम, जो इस बीमारी से लड़ने के लिए लोगों के बीच खासा प्रसिद्ध हो रहा है. नीम एक ऐसा पौधा या पेड़ ...

लक्षण दिखने से पहले ही जानलेवा बीमारियों का पता लगा लेगा ये ब्लड टेस्ट

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अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने एक ऐसी तकनीक ईजाद की है जिसकी मदद से पांच जानलेवा बीमारियां का उनके लक्षण दिखने से पहले ही पता लगाया जा सकेगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तकनीक से जन्म के समय ही उस बीमारी की पहचान कर ली जाएगी जिसकी आगे जाकर विकसित होने की आशंका है। दशकों पहले बीमारी की पता चलने से उसे मानव शरीर में पनपने से रोका जा सकेगा। इस तकनीक को 'पॉलीजेनिक रिस्क स्कोरिंग' नाम दिया गया है।  'पॉलीजेनिक रिस्क स्कोरिंग' तकनीक के जरिए हार्ट अैटक से लेकर ब्रेस्ट कैंसर समेत उन पांच जानलेवा बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा जिन संबंध डीएनए से होता है। कोरोनेरी आर्टरी, एट्रियल फिबरिलेशन, टाइप 2 डायबिटीज, इंफ्लेमेट्री बॉवेल डिजीज और ब्रेस्ट कैंसर संबंधित बीमारियों की पहचान इस टेस्ट से की जा सकेगी।  नेचर जेनेटिक्स में प्रकाशित अध्ययन के प्रमुख लेखक और हार्वर्ड में प्रोफेसर सेकर केथिरसन ने कहा कि हम सभी लंबे समय से ऐसे बहुत से लोगों को जानते हैं जिनमें आनुवांशिक कारणों से कुछ बीमारियां होने की आशंका रहती है। लेकिन अब जेनोमिक डाटा की मदद से हम इस बीमारी का लक...

भारत में एचआईवी से कहीं ज्यादा जानें लेता है वायरल हेपेटाइटिस

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लिवर व पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) में, सहायक प्रधान संचालक (मेडिकल) डॉ. शांतनु दुबे ने एक नए विश्लेषण के माध्यम से भारत में वायरल हैपेटाइटिस की वर्तमान स्थिति के बारे में अहम जानकारियां साझा कीं। होटल पुलमेन, नई दिल्ली में 'एचसीवी संक्रमण व अन्य रोग' पर केंद्रित तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान हुई चर्चा में डॉ. दुबे ने बताया कि देश में एचआईवी / एड्स की तुलना में वायरल हैपेटाइटिस अधिक जानें लेता है, और कहा कि इस रोग के संबंध में जागरूकता अभियान चलाने की सक्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि जानकारी के अभाव में वायरल हेपेटाइटिस का निदान काफी देरी से हो पाता है, जिसके चलते इस रोग की पहचान व इलाज बेहद मुश्किल हो जाते हैं।   " डॉ. दुबे ने यह भी बताया कि, लीवर के पास 70 प्रतिशत का रिज़र्व होता है, जोकि इसे अस्थायी कारकों की वजह से होने वाली क्षति को रिज़र्व रखने देते है। लेकिन लंबे समय तक इस प्रकार क्षति होने व सही इलाज न किये जाने पर यह काम करना बंद कर देता है। इसलिये इसकी रोकथाम, इलाज से बेहतर होती है। यह जरूरी है कि - यह बहुत देर होने से पहले ही स्थिति का पता लगाने के लिए ल...

बारिश में पत्ते वाली सब्जियों से रहें दूर, फैल सकता है टेपवर्म संक्रमण

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बारिश के मौसम में वायरस और बैक्टीरिया काफी एक्टिव हो जाते हैं। इस मौसम में पानी, हवा और मिट्टी सभी दूषित हो जाते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां खाना वैसे तो बहुत फायदेमंद होता है मगर इस मौसम में इन्हें खाना आपके लिए खतरनाक हो सकता है। हाल में ही गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल में एक 8 साल की बच्ची को अस्पताल में भर्ती किया गया, जिसे सिरदर्द और मिर्गी की शिकायत थी। डॉक्टर्स का कहना है कि उस बच्ची के शरीर में 100 से भी ज्यादा टेपवर्म के अंडे पाए गए। टेपवर्म एक तरह का संक्रमणकारी कीड़ा होता है, जो पत्तेदार सब्जियों और दूषित पानी में पाया जाता है। बारिश के मौसम में इसके संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। credit onlymyhealth

क्यों इस मौसम में बढ़ जाते हैं संक्रमण, वायरस और अन्य बीमारियां...

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गर्मी में पेट से जुड़ी कई परेशानियां सामने आती हैं. जैसे-जैसे मौसम गर्म होता है, हमारी लाइफस्टाइल और खानपान की आदतें बदलने लगती हैं. मौसम के बढ़े हुए तापमान से न केवल हमें पसीना ज्यादा होता है, बल्कि इससे हमारी प्रतिरक्षा शक्ति भी कमजोर होती है. ऐसे में दूसरे किसी मौसम की तुलना में हमारे शरीर पर बैक्टिरिया और वायरस का अधिक आक्रमण होता है. हेल्थियंस की मेडीकल ऑफीसर डॉक्टर धृति वत्स बताती हैं कि दूसरे किसी मौसम की तुलना में गर्मी में खाना जल्दी खराब और होता है और बीमारी की वजह बनता है. उनका व चिकित्सकों का कहना है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, पेट के संक्रमण और अन्य परेशानियों के मामले करीब 45 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं.  गर्मियों में पेट की परेशानियों के सबसे ज्यादा शिकार ऐसे बच्चे या युवा होते हैं जो भोजन से पहले अपने हाथों को सही से साफ नहीं करते या बाहर का खाना खाते हैं, जो अनचाहे ही संक्रमित हो सकता है.

2025 तक 6 करोड़ लोगों को होगा घुटनों में दर्द, आखिर क्या होगी वजह!

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घुटनों के दर्द को मामूली दर्द समझकर युवा नजरअंदाज कर देते हैं तो वहीं बुजुर्ग इसे उम्र का तकाजा मानकर शांत बैठ जाते हैं. घुटनों का यह दर्द ओस्टियोआर्थराइटिस यानी गठिया भी हो सकता है और आंकड़ों के अनुसार अगर घुटने के दर्द के मामलों की यही स्थिति रही तो साल 2025 तक भारत में छह करोड़ से भी ज्यादा लोगों के इस बीमारी से प्रभावित होने का पूवार्नुमान है. आर्थराइटिस की समस्या तब शुरू होती है, जब घुटनों के जोड़ में जैली जैसे पदार्थ कार्टिलेज में घिसाव होने लगता है. इससे घुटने की हड्डियां आपस में रगड़ने लगती है और घुटने में सूजन, अकड़न और दर्द होने लगता है. हालांकि यह बीमारी उम्र बढ़ने और अनुवांशिक कारणों से भी हो सकती है लेकिन कम उम्र के लोगों में आर्थराइटिस के मामले जितनी तेजी से बढ़ रहे हैं. इसका कारण लोगों का कसरत और सैर न करना, संतुलित आहार न लेना, सारा दिन बैठे रहना और मोटापा है. आंकड़ों के अनुसार अगर आर्थराइटिस के मामलों की यही स्थिति रही तो साल 2025 तक भारत में छह करोड़ से भी ज्यादा लोगों के इस बीमारी से प्रभावित होने का पूवार्नुमान है. हरियाणा के फरीदाबाद में क्यूआरजी हेल्थ सिटी ...