कॉन्ट्रेक्टेड क्रोनिक लिवर से परेशान अफगानी बच्ची को मिली नई जिंदगी

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर एवं सीनियर कन्सलटेन्ट, पीडिएट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलोजी एवं हेपेटोलोजी डॉ. अनुपम सिब्बल ने कहा, "हमने तुरंत बच्ची की जांच की, क्योंकि हादिया का लिवर ट्रांसप्लान्ट बेहद जरूरी था. बच्चों में इस तरह के 20 फीसदी मामलों में बीमारी का कारण पता नहीं लगाया जा सकता. जब लिवर फेलियर अपनी अंतिम अवस्था में पहुंच जाता है, तो हमारे पास सिर्फ लिवर ट्रांसप्लान्ट का विकल्प ही बचता है."
पैनक्रियाटिक सर्जरी डिपार्टमेन्ट के लिवर ट्रांसप्लान्ट व हेपेटोबाईलरी के सीनियर कन्सलटेन्ट डॉ. नीरव गोयल ने कहा, "छोटे बच्चों में रक्त वाहिकाएं भी बहुत छोटी होती हैं, इसलिए हमें ट्रांसप्लान्ट के दौरान बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है. बच्ची के पिता अहमद फवाद ने उसे लिवर डोनेट किया. पिछले महीने हुई यह सर्जरी 12 घंटे तक चली."
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