जहरीले धातु 30 फीसदी बढ़ा देते हैं दिल की बीमारियों का खतरा
पर्यावरण में मौजूद आर्सेनिक, सीसा, तांबा और कैडमियम जैसी जहरीली धातुओं के संपर्क में आने से कार्डियोवैस्कुलर बीमारी और कोरोनरी हृदय रोग होने का जोखिम बढ़ सकता है. आर्सेनिक के संपर्क में आने से कोरोनरी हृदय रोग होने का 23 प्रतिशत जोखिम बढ़ता है तो वहीं कार्डियोवैस्कुलर बीमारी के खतरे में 30 फीसदी का इजाफा होता है. एक नए शोध में यह खुलासा हुआ है. शोध के मुताबिक, अनुमान है कि जल्द ही दुनिया में हृदयरोग के सबसे अधिक मरीज भारत में मिलेंगे. भारतीयों में 50 से कम आयु के 50 प्रतिशत लोगों को हृदय रोग होता है और बाकी 25 प्रतिशत हृदय रोगियों की औसत आयु 40 से कम होती है. गांवों की तुलना में शहरों में रहने वाली आबादी दिल के दौरे से तीन गुना अधिक प्रभावित होती है.
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर और स्ट्रोक जैसी हृदयरोग और अन्य गैर-संक्रमणीय बीमारियां (एनसीडी) तेजी से बढ़ रही हैं और जल्द ही महामारी का रूप ले लेंगी. शहरी आबादी को ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों की तुलना में दिल का दौरा पड़ने का तीन गुना ज्यादा खतरा रहता है. इसका कारण तनाव, भागदौड़ वाली जीवनशैली और व्यस्त दिनचर्या को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसके कारण शारीरिक गतिविधियों के लिए समय ही नहीं बच पाता."
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